Kismat Mein Yehi Likha Tha

वो दिखला के हम को पुलिस का ये थाना
ना जाने किधर हो गए हैं रवाना
समझते थे जिनसे मोहब्बत मिलेगी
मगर उसके बदले मिला जेल-ख़ाना

क़िस्मत में यही लिखा था
क़िस्मत में यही लिखा था
हम रोएँ, हँसे ज़माना
हम रोएँ, हँसे ज़माना

क़िस्मत में यही लिखा था
हम रोएँ, हँसे ज़माना
हम रोएँ, हँसे ज़माना

वो दिल तोड़ देते, जिगर फोड़ देते
चले जाते 'गर चाहते थे वो जाना
मगर उनको ये हक़ तो हरगिज़ नहीं था
हमें लाके ऐसी जगह पर फँसाना

क़िस्मत में यही लिखा था
क़िस्मत में यही लिखा था
हम रोएँ, हँसे ज़माना
हम रोएँ, हँसे ज़माना

क़िस्मत में यही लिखा था
हम रोएँ, हँसे ज़माना
हम रोएँ, हँसे ज़माना

इसे ग़ुल मचाना ना समझो, दरोगा
ये है अपनी बर्बादियों का फ़साना
हैं बैठे यहाँ तेरे मेहमान बन कर
ना तकिया, ना बिस्तर, ना रोटी, ना खाना

क़िस्मत में यही लिखा था
क़िस्मत में यही लिखा था
हम रोएँ, हँसे ज़माना
हम रोएँ, हँसे ज़माना



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Ghulam Mohammed
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