Humsafar (Zaalima) [From "Humsafar (Zaalima)"]

सुन, मेरे हमसफ़र
क्या तुझे इतनी सी भी ख़बर

ਜ਼ਾਲਿਮਾਂ, ਆ, ਜ਼ਾਲਿਮਾਂ

सुन, मेरे हमसफ़र
क्या तुझे इतनी सी भी ख़बर
कि तेरी साँसें चलती जिधर
रहूँगा बस वहीं उम्र भर?
रहूँगा बस वहीं उम्र भर, हाय

जितनी हसीं ये मुलाक़ातें हैं
उनसे भी प्यारी तेरी बातें हैं
बातों में तेरी जो खो जाते हैं
आऊँ ना होश में मैं कभी
बाँहों में है तेरी ज़िंदगी, हाय

है नहीं था पता कि तुझे मान लूँगा खुदा
कि तेरी गलियों में इस क़दर आऊँगा हर पहर
रहूँगा बस वही उम्र भर, हाय

ਜ਼ਾਲਿਮਾਂ, ਜ਼ਾਲਿਮਾਂ, ਜ਼ਾਲਿਮਾਂ
ਜ਼ਾਲਿਮਾਂ...

मैं तो यूँ खड़ा किस सोच में पड़ा था?
कैसे जी रहा था मैं दीवाना?
छुपके से आ के तूने, दिल में समा के तूने
छेड़ दिया कैसा ये फ़साना?

ओ, मुस्कुराना भी तुझी से सीखा है
दिल लगाने का तू ही तरीक़ा है
ऐतबार भी तुझी से होता है
आऊँ ना होश में मैं कभी
बाँहों में है तेरी ज़िंदगी, हाय

सुन, मेरे हमसफ़र
क्या तुझे इतनी सी भी ख़बर
कि तेरी साँसें चलती जिधर
रहूँगा बस वहीं उम्र भर?
रहूँगा बस वहीं उम्र भर, हाय



Credits
Writer(s): Akhil Sachdeva
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