Abroo - Version 1

नम आँखे है, सूख ना पाई
सूख ना पाई, सूख ना पाई
गिरते अश्कों ने कसमे उठाई
कसमे उठाई, कसमे उठाई
क्यों झूठी सी चाहते लगाई
चाहते लगाई, चाहते लगाई

हाय, जाने दिल तू किस तरफ है ले चला
हम तुम भटके, मिल रहा ना रास्ता
जाने दिल तू किस तरफ है ले चला
हम तुम भटके, मिल रहा ना आसरा
आसरा ना मिला

किसी अपने ने आँख है रुलाई
आँख है रुलाई, आँख है रुलाई
रोया, पछताया, मैंने क्या है कमाया
इस दुनियादारी की खातिर क्या खोया क्या पाया
रोया, पछताया, मैंने क्या है कमाया
इस दुनियादारी की खातिर क्या खोया क्या पाया

कोई भी ना जाने हम है कितना जले
कोई भी ना जाने हम है कितना जले
सीने मै दिल नहीं बस ग़म ही पले
हम तो नंगे पाँव काटों पे चले
हम तो नंगे पाँव काटों पे चले
भीड़ में कोई ना अपना मिले
भीड़ में कोई ना अपना मिले

हर पल, हर दम, हम दम
फिकरे रहती यार की
हम तो सबकुछ भूल गये
याद रहे बस आबरू

इश्क में तेरे दर दर फिरते
फिर भी ना तेरा नाम लिया
हम ने तेरा मान रखा
रखी आबरू इस प्यार की

बड़ा तड़पे है, देते है दुहाई
देते है दुहाई, देते है दुहाई
कैसे बिखरी हूं समझ ना आयी
समझ ना आयी, समझ ना आयी
हाय, हसते हसते यार हम तो रों पड़े
आँखें पोछूं, आंसू फिर से नम करें
हसते हसते यार हम तो रों पड़े
आँखें पोछूं, आंसू फिर से नम करें
आसरा ना मिला

किसी अपने ने आँख है रुलाई
आँख है रुलाई, आँख है रुलाई
रोया, पछताया, मैंने क्या है कमाया
इस दुनियादारी की खातिर क्या खोया क्या पाया
रोया, पछताया, मैंने क्या है कमाया
इस दुनियादारी की खातिर क्या खोया क्या पाया



Credits
Writer(s): Nabeel Ali Shaukat
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