Kaash

मेहरबानी है तक़दीरों की
जो तेरी-मेरी राहें यूँ आ के मिली है
है ये कहानी उन लक़ीरों की
जो तेरे मेरे हाथों की जुड़ रही हैं

एक रेत का सहरा हूँ मैं
बारिश की फ़िज़ा है तू
आधा लिखा एक खत हूँ मैं
और खत का पता है तू

तू अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू?
अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू?

अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू?
अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू?

ना था मुझे पता, ना थी तुझे ख़बर
के इस क़दर क़रीब आएँगे
भले ही देर से मिलेंगे हम मगर
लिखा के यूँ नसीब लाएँगे

खुश-नसीबी है मेरी आँखों की
जो तेरा सपना रातों को देखती हैं
खुशमिज़ाजी है मेरी बाहों की
तेरी हरारत से खुद को सेकती है

मैं रात हूँ और चाँद की
सुरत की तरह है तू
लग के नही जो छूटती
आदत की तरह है तू

तू अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू?
अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू?

तू अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू?
अगर काश समझ पाए
मेरे लिए क्या है तू?



Credits
Writer(s): Amitabh Bhattacharya, Ehsaan Noorani, Shankar Mahadevan, Aloyius Peter Mendonsa
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