Kash Fir Se

काश फिर से बीते लम्हे चुरा के वो मैं जियूँ
काश फिर से पास तुझको बिठा के मैं देख लूँ

हैं आई तेरी यादें, तू फिर धड़का दे
नहीं धड़का कई दिनों से दिल मेरा
लफ़्ज़ों बिन बातें, हाँ, कैसे समझाते?
मेरी ख़ामोशी फ़ासलों की है वजह

काश फिर से बीते लम्हे चुरा के वो मैं जियूँ
काश फिर से पास तुझको बिठा के मैं देख लूँ

चाहे मेरा दिल ये, तू चाहे फिर मुझे
मेरी ज़िंदगी में मैं रख लूँ फिर तुझे
तेरे क़दमों से ये राहें फिर जुड़ें
तेरी ही हवा में ये साँसें फिर उड़ें

हैं आँखों की दुआएँ वो फिर लौट आए
जो पलकों से था रूठा ख़ाब सा

काश फिर से धूप-छाँव तेरे संग बाँट लूँ
काश फिर से पास तुझको बिठा के मैं देख लूँ

हैं आई तेरी यादें, तू फिर धड़का दे
नहीं धड़का कई दिनों से दिल मेरा
लफ़्ज़ों बिन बातें, हाँ, कैसे समझाते?
मेरी ख़ामोशी फ़ासलों की है वजह

काश फिर से बीते लम्हे चुरा के वो मैं जियूँ
काश फिर से पास तुझको बिठा के मैं देख लूँ

काश फिर से, फिर से, फिर से...



Credits
Writer(s): Kumaar, Jeet Gannguli
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