Mard Maratha (From "Panipat")

हे, बोले धरती जयकारा, गगन है सारा गूँजा रे
जग में लहराया न्यारा ध्वज है हमारा ऊँचा रे

हम वो योद्धा, वो निडर हम जो भी दिशा में जाएँ
सारे पथ चरण छुए और पर्बत शीश नवाएँ
रास्ते से हट जाएँ, नदिया हो के हवाएँ

हम है जियाले जीतने को हम रण में उतरते हैं
हम सूरज हैं अंत हम ही रातों का करते हैं
युग-युग की ज़ंज़ीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा "जय मर्द मराठा" रे

जो रक्त है तन में बहता, वो हमसे है ये कहता
"संमान के बदले जान भी दे, तो नही है घाटा रे"

युग-युग की ज़ंज़ीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा "जय मर्द मराठा" रे
युग-युग की ज़ंज़ीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा "जय मर्द मराठा" रे

वीरता हमने बोई और ये फल पाया
दूर तक अब है फ़ैली अपनी ही छाया

ओ, जीवन जो रणभूमि में करता है तांडव
आज उसी ने है विजय का नगाड़ा बजाया
अपनी है जो गाथा, अब है समय सुनाता
सब को है ये बताता, कैसे सुख हमने बाँटा रे

युग-युग की ज़ंज़ीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा "जय मर्द मराठा" रे
युग-युग की ज़ंज़ीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा "जय मर्द मराठा" रे

सच के सिपाही, अलबेले राही क्या जानते हो तुम?
जब तुम नही थे, हम कब यहीं थे? हम भी थे जैसे ग़ुम
तुम ध्यान में थे, तुम प्राण में थे जैसे जनम-जनम
जब तीर तुमपे बरसे तो जैसे घायल हुए थे हम

ओ, देखो तो मुझसे कह के, मैं जान दे दूँ तुमपे
क्या तुम नहीं ये जानते?

दुविधा के आगे जब नारी जागे, हिम्मत से काम ले
चूड़ी उतारे, कंगन उतारे, तलवार थाम ले

मैंने ली आज शपथ है, वीरों का पथ है मेरा रे
रक्ष अपना जो बना लूँ, वहीं पे डालूँ डेरा रे

हम वो योद्धा, वो निडर हम जो भी दिशा में जाएँ
सारे पथ चरण छुए और पर्बत शीश नवाएँ
रास्ते से हट जाएँ, नदिया हो के हवाएँ

हम है जियाले जीतने को हम रण में उतरते हैं
हम सूरज हैं अंत हम ही रातों का करते हैं
युग-युग की ज़ंज़ीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा "जय मर्द मराठा" रे

जो रक्त है तन में बहता, वो हमसे है ये कहता
"संमान के बदले जान भी दे, तो नही है घाटा रे"

युग-युग की ज़ंज़ीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा "जय मर्द मराठा" रे
युग-युग की ज़ंज़ीरों को हमने ही काटा रे
बोल उठा ये जग सारा "जय मर्द मराठा" रे



Credits
Writer(s): Ajay Atul, Javed Akhtar
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