Tu Kisi Rail Si

तू किसी रेल सी गुज़रती है
तू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ
तू भले रत्ती भर ना सुनती है
मैं तेरा नाम बुदबुदाता हूँ

किसी लंबे सफ़र की रातों में
तुझे अलाव सा जलाता हूँ
तू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ

काठ के ताले हैं
आँख पे डाले हैं
उनमें इशारों की चाभियाँ लगा
काठ के ताले हैं
आँख पे डाले हैं
उनमें इशारों की चाभियाँ लगा
रात जो बाकी है
शाम सताती है
नीयत में थोड़ी...
नीयत में थोड़ी खराबियाँ लगा, खराबियाँ लगा

मैं हूँ पानी के बुलबुले जैसा
तूझे सोचूँ तो फूट जाता हूँ
तू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ

तू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ
थरथराता हूँ
थरथराता हूँ
थरथराता हूँ



Credits
Writer(s): Indian Ocean, Varun Grover
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