Aisi Sazaa

ऐसी सज़ा देती हवा
तन्हाई भी तन्हा नहीं

ऐसी सज़ा देती हवा
तन्हाई भी तन्हा नहीं
नींदें भी अब सोने गई
रातों को भी परवाह नहीं

ऐसे में बारिश की बूँदों से अपनी साँसों को सहला भी दो
बढ़ती हवाओं के झोंकों से दिल को नग़्मा कोई ला भी दो
पलकों की कोरों पे बैठी नमी को धीमे से पिघला भी दो
ये ज़िंदगी ऐसी ही थी, तुमने कभी जाना नहीं

जीवन की राहों में आना या जाना बता के नहीं होता है
जाते कहीं हैं, मगर, जानते ना कि आना वहीं होता है
खोने की ज़िद में ये क्यूँ भूलते हो कि पाना भी होता है?
वो पल अभी वैसा ही है, छोड़ा था जो जैसा नहीं

ऐसी सज़ा देती हवा
तन्हाई भी तन्हा नहीं
नींदें भी अब सोने गई
रातों को भी परवाह नहीं



Credits
Writer(s): Piyush Mishra
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