Dard - E - Dil (From "Carvaan Lounge - Season 1")

तू सुबह बन के आता है, मैं शाम के जैसे ढलती हूँ
अब इससे ज़्यादा कौन मरे, मैं तुम पे जितना मरती हूँ?

दर्द-ए-दिल, दर्द-ए-जिगर दिल में जगाया आपने
Mmm, दर्द-ए-दिल, दर्द-ए-जिगर दिल में जगाया आपने
पहले तो मैं शायर था
पहले तो मैं शायर था, आशिक़ बनाया आपने
दर्द-ए-दिल, दर्द-ए-जिगर दिल में जगाया आपने

हर बार सफ़र तेरा-मेरा एक मोड़ पे आ के रुकता है
हर बार का यही क़िस्सा है, मुड़ जाने से मैं डरती हूँ
रुक जाती है धड़कन मेरी, साँसें भी साँस नहीं लेती
अब इससे ज़्यादा कौन मरे, मैं तुम पे जितना मरती हूँ?

ये इश्क़ नहीं तो क्या है? मैं तुझ जैसी दिखती हूँ
अब ये दुनिया कहती है, मैं तू बन के फिरती हूँ

और थोड़ी देर में बस हम जुदा हो जाएँगे
और थोड़ी देर में बस हम जुदा हो जाएँगे
आपको ढूँढूँगी कैसे? रास्ते ये खो जाएँगे

नाम तक भी तो नहीं अपना बताया आपने
दर्द-ए-दिल, दर्द-ए-जिगर दिल में जगाया आपने

आपकी मदहोश नज़रें कर रही हैं शायरी
आपकी मदहोश नज़रें कर रही हैं शायरी
ये ग़ज़ल मेरी नहीं, ये ग़ज़ल है आपकी

मैंने तो बस वो लिखा जो कुछ लिखाया आपने
दर्द-ए-दिल, दर्द-ए-जिगर दिल में जगाया आपने
दर्द-ए-दिल, दर्द-ए-जिगर दिल में जगाया आपने



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Kudalkar Laxmikant, Pyarelal Lakshmikant, Arkapravo Mukherjee, Rashmi Singh
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