Darmiyaan

दर्द-ए-दिल कैसे छुपाएँ?
मर्ज़-ए-वफ़ा में डूब ही जाएँ
चाहत है अब ये मेरी
पल अब ये यहीं थम जाएँ

दरमियाँ कुछ नहीं, फिर क्यूँ अपना सा लगे?
पास तू है मेरे, फिर क्यूँ जुदा सा लगे?

मुरझाए पत्ते सी हूँ मैं
बारिश की बूँदों सा है तू
लफ़्ज़ों में हो ना जो बयाँ
ऐसा ही क़िस्सा है तू

तूने यूँ लबों को लब से है छुआ
एहसास यूँ नया अब हो गया
तेरे पास-पास चाहूँ मैं रहना
अब रब से मेरी ये दुआ

दरमियाँ कुछ नहीं, फिर क्यूँ अपना सा लगे?
पास तू है मेरे, फिर क्यूँ जुदा सा लगे?
दरमियाँ कुछ नहीं, फिर क्यूँ अपना सा लगे?
पास तू है मेरे, फिर क्यूँ जुदा सा लगे?



Credits
Writer(s): Piyush Shankar, Yaseer Desai
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