Rishton Ke Saare Manzar

रिश्तों के सारे मंज़र चुपचाप देखता हूँ
रिश्तों के सारे मंज़र चुपचाप देखता हूँ
हाथों में सब के ख़ंजर...
हाथों में सब के ख़ंजर चुपचाप देखता हूँ
रिश्तों के सारे मंज़र चुपचाप देखता हूँ

जिस में पला है मेरे बचपन का लम्हा-लम्हा, हे
जिस में पला है मेरे बचपन का लम्हा-लम्हा
जिस में पला है मेरे बचपन का लम्हा-लम्हा
उजड़ा हुआ सा वो घर चुपचाप देखता हूँ
उजड़ा हुआ सा वो घर चुपचाप देखता हूँ

हाथों में सब के ख़ंजर...
हाथों में सब के ख़ंजर चुपचाप देखता हूँ
रिश्तों के सारे मंज़र चुपचाप देखता हूँ

धरता है कितने तोहमत मुझ पे वजूद मेरा
धरता है कितने तोहमत मुझ पे वजूद मेरा
धरता है कितने तोहमत मुझ पे वजूद मेरा
जब भी मैं दिल के अंदर चुपचाप देखता हूँ
जब भी मैं दिल के अंदर चुपचाप देखता हूँ

हाथों में सब के ख़ंजर...
हाथों में सब के ख़ंजर चुपचाप देखता हूँ
रिश्तों के सारे मंज़र चुपचाप देखता हूँ

वो रहगुज़र कभी जो मंज़िल की इब्तदा थी

गा रे गा सा, रे सा रे नी
सा नि सा धा, नी धा नी पा, गा पा सा

वो रहगुज़र कभी जो मंज़िल की इब्तदा थी
वो रहगुज़र कभी जो मंज़िल की इब्तदा थी
उसको मैं अब पलट कर चुपचाप देखता हूँ
उसको मैं अब पलट कर चुपचाप देखता हूँ

हाथों में सब के ख़ंजर...
हाथों में सब के ख़ंजर चुपचाप देखता हूँ

रिश्तों के सारे मंज़र चुपचाप देखता हूँ
चुपचाप देखता हूँ



Credits
Writer(s): Anup Jalota, Harsh Brahmbhatt
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