Yun Saja Chand Ke Chhalka Tere Andaz Ka Rang

यूँ सजा चाँद...
यूँ सजा चाँद कि छलका तेरे अंदाज़ का रंग
यूँ फ़ज़ा महकी कि बदला मेरे हमराज़ का रंग
यूँ सजा चाँद कि छलका तेरे अंदाज़ का रंग
यूँ फ़ज़ा महकी कि बदला मेरे हमराज़ का रंग
यूँ सजा चाँद कि छलका तेरे अंदाज़ का रंग

साया-ए-चश्म में हैराँ रुख़-ए-रौशन का जमाल
साया-ए-चश्म में हैराँ रुख़-ए-रौशन का जमाल

सुर्ख़ ये लब में परेशाँ तेरी आवाज़ का रंग
यूँ फ़ज़ा महकी कि बदला मेरे हमराज़ का रंग
यूँ सजा चाँद कि छलका तेरे अंदाज़ का रंग

बेपीए होके अगर लुत्फ़ करो आख़िर-ए-शब
बेपीए होके अगर लुत्फ़ करो आख़िर-ए-शब

शीशा-ओ-मय में ढले सुबह के आग़ाज़ का रंग
यूँ फ़ज़ा महकी कि बदला मेरे हमराज़ का रंग
यूँ सजा चाँद कि छलका तेरे अंदाज़ का रंग

चंगोने रंग पे थे अपने लहू के दम से
चंगोने रंग पे थे अपने लहू के दम से

दिल ने लय बदली तो मद्धम हुआ हर साज़ का रंग
यूँ फ़ज़ा महकी कि बदला मेरे हमराज़ का रंग
यूँ सजा चाँद कि छलका तेरे अंदाज़ का रंग
यूँ फ़ज़ा महकी कि बदला मेरे हमराज़ का रंग
यूँ सजा चाँद कि छलका तेरे अंदाज़ का रंग



Credits
Writer(s): Ali Ghulam, Faiz Ahmed Faiz
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