Jahan Kahin Deepak Jalta Hai

जहाँ कहीं दीपक जलाता है
वहाँ पतंगा भी आता है
प्रीत की रीत यही है, मूरख
तू काहे घबराता है?

परवाने की नादानी पर
दुनिया हँसती है तो हँसे
प्यार की मीठी आग में प्रेमी
हँसते-हँसते जल जाता है

जो इक बार कह दो कि तुम हो हमारे
तो बदले ये दुनिया, बदलें नज़ारे
जो इक बार कह दो कि तुम हो हमारे
तो बदले ये दुनिया, बदलें नज़ारे
जो इक बार कह दो...

आकाश में...
आकाश में चाँद-तारे हँसे
हमारे ही दिल में अँधेरा बसे

निगाहों की गलियों में चोरी से आ के
जो तुम मुस्कुराओ तो खिल जाएँ तारे
जो इक बार कह दो...

सुहानी है ये...
सुहानी है ये ज़िंदगी प्यार से
ऐ मूरख, जो पछताए दिल हार के

ये बाज़ी है दुनिया में सब से निराली
जो हारे सो जीते, जो जीते सो हारे
जो इक बार कह...



Credits
Writer(s): Shailendra, Jaikshan Shankar
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