Faaslon Mein

फ़ासलों में बँट सके ना हम जुदा होके
मैं बिछड़ के भी रहा पूरा तेरा होके
फ़ासलों में बँट सके ना हम जुदा होके
मैं बिछड़ के भी रहा पूरा तेरा होके

क्यूँ मेरे क़दम को आग का दरिया रोके?
क्यूँ हमको मिलने से ये दूरियाँ रोके?
अब इश्क़ क्या तुमसे करे हम सा कोई होके?
साँस भी ना ले सके तुमसे अलग होके

मैं रहूँ क़दमों का तेरे हमसफ़र होके
दर्द सारे मिट गए हमदर्द, जब से तू मिला

क्यूँ सब हमसे जल रहे हैं?
क्यूँ हम उनको खल रहे हैं?

हाँ, ये कैसा जूनूँ सा है?
हम ये किस राह चल रहे हैं?
हाँ, मेरी इस बात को तू ज़हन में रखना

पुल हूँ दरिया का मैं, तू मुझ पे ही बस चलना
हर जनम में इश्क़ बनके ही मुझे मिलना
तेरी साँसों से हैं मेरी धड़कनों के क़ाफ़िले

फ़ासलों में बँट सके ना हम जुदा होके
मैं बिछड़ के भी रहा पूरा तेरा होके

मैं रहूँ तेरी ज़मीं का आसमाँ होके
मैं बिछड़ के भी रहा पूरा तेरा होके
और मैं नहीं हरगिज़ रहूँगा दास्ताँ होके



Credits
Writer(s): Shabbir Shamiullah Ahmed, Thakur Parampara, Tandon Sachet
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