Toxic

जब तू नहीं था यहाँ तो ग़म नहीं था
आदत तेरी लगने तक सब कुछ सही था
आया तू ज़िंदगी में बनके सितम सा
हाँ, एक सितम सा

इक तेरे प्यार ने ऐसे दिए ज़खम
ना ही तो जी सके, ना ही मरे हैं हम
इक तेरे प्यार ने ऐसे दिए ज़खम
ना ही तो जी सके, ना ही मरे हैं हम
इक तेरे प्यार ने...

जिस दिन पहली बार देखा तुझको, कोसूँ उस दिन को मैं
"क्यूँ लड़ते हो?" इसका जवाब दूँ किन-किन को मैं?
आँखें चेहरे में धस गई हैं, कोई रौनक नहीं
लगता हूँ psycho, मिलता हूँ जिन-जिन को मैं

छोटी-छोटी बात पे लड़ने का मन करे
जिससे भी मिलूँ मैं, झगड़ने का मन करे
रहती एक anxiety सी, २४ घंटे मरने का मन करे

क्यों है इतनी गंदगी?
ना तुझको पता, ना मुझको पता
कुछ भी बचा है क्या तेरे-मेरे बीच में?
तू ये मुझको बता
(मुझको बता, मुझको बता, मुझको बता)

मैं तुझसे प्यार करना चाहता हूँ, पर और नहीं हो पा रहा
आँखें सूख गई हैं मेरी, और नहीं रो पा रहा
चाहता हूँ कि आँसू आएँ, आने बंद हो गए हैं
तुझ तक जाते थे जो रस्ते, सारे बंद हो गए हैं

लड़ना भी मैं चाहता हूँ, खा के कहता हूँ क़सम
इस बहाने अपने में कुछ तो रहेगा कम-से-कम
तू मुझको गाली दे, मुझ पे चिल्लाए, मुझ पे चीखे
तू लड़ के घर से बाहर जाए, मैं आऊँ तेरे पीछे

WhatsApp पे मुझको और मेरी family को block कर
मुझे गंदी-गंदी बातें बोल, खुद को room में lock कर
मैं खड़काता रहूँ दरवाज़ा और तू खोले ना
मैं खोलने को बोलता रहूँ और तू कुछ बोले ना

तूने ये किया तो मैं ये कर लूँगा हम चिल्लाएँ
दोनों को एक दूजे की फिर ग़लतियाँ हम गिनवाएँ
थक कर फ़िर रोते, रोते, रोते दोनों सो जाएँ
क्यों ना हम एक दूजे से फिर अनजाने हो जाएँ?

छोटी-छोटी बातें अब अंदर से खाने लगी हैं
जान मेरी अब मेरे अंदर से जाने लगी है
दोनों में negativity हर दिन आने लगी है
पहले प्यार आया करता था, अब घिन आने लगी है
पहले प्यार आया करता था, अब घिन आने लगी है
पहले प्यार आया करता था, अब घिन आने लगी है

इक तेरे प्यार ने ऐसे दिए ज़खम
ना ही तो जी सके, ना ही मरे हैं हम
इक तेरे प्यार ने ऐसे दिए ज़खम
ना ही तो जी सके, ना ही मरे हैं हम
इक तेरे प्यार ने...



Credits
Writer(s): Aditya Prateek Singh, Aditya Dev
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