Budhau

फ़टी अचकन के धागों पे लटके बुढ़ऊ
साँसे अटकी हैं फ़िर भी देखो ना सुधरे बुढ़ऊ
फ़टी अचकन के धागों पे लटके बुढ़ऊ
साँसे अटकी हैं फ़िर भी देखो ना सुधरे बुढ़ऊ

ख़टके ज़माने की आँखों में
उलझे गठरी की गाँठों में
नुक्कड़ पे, बाज़ार में सैर-सपाटा करे

फ़टी अचकन के धागों पे लटके बुढ़ऊ
साँसे अटकी हैं (साँसे अटकी हैं)
फ़िर भी देखो ना सुधरे बुढ़ऊ (सुधरे बुढ़ऊ)

खाली थाली में गाली परोसे, बातों में दुनाली
अठन्नी रुपए का कमाए निवाला, नख़रे बेमिसाली
इसकी कमरिया लचकती, नज़रिया मटकती
और मटके बुढ़ऊ

फ़टी अचकन के धागों पे लटके बुढ़ऊ
साँसे अटकी हैं फ़िर भी देखो ना सुधरे बुढ़ऊ

ना कोई समझा क्या ये चीज़ है बुढ़ऊ
इसकी बदतमीज़ी में थोड़ी सी तमीज़ है

रग-रग में इसकी कारिस्तानी है
खुद ना सोए और नींदों को सुलाए चले
ये तो ख़ाबों को ओढ़े-बिछाए चले
छुपा दाढ़ी में तिनका, घूमे ये अड़ियल बुढ़ऊ

फ़टी अचकन के (फ़टी अचकन के)
धागों को बुनले बुढ़ऊ (बुनले बुढ़ऊ)
साँसे अटकी हैं (साँसे अटकी हैं)
अब तो संभाल जा (तो संभाल जा)
दड़ियल बुढ़ऊ (दड़ियल बुढ़ऊ)

सुधर जा बुढ़ऊ
हो, बुढ़ऊ
दड़ियल बुढ़ऊ
बुढ़ऊ



Credits
Writer(s): Dinesh Pant, Anuj Garg
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