Khairiyat Pucho Unplugged

ख़ैरियत पूछो, कभी तो क़ैफ़ियत पूछो
तुम्हारे बिन दीवाने का क्या हाल है
दिल मेरा देखो, ना मेरी हैसियत पूछो
तेरे बिन एक दिन जैसे १०० साल हैं

अंजाम है तय मेरा, होना तुम्हें है मेरा
कितनी भी हो दूरियाँ, फ़िलहाल हैं
ये दूरियाँ फ़िलहाल हैं

तुम्हारी तस्वीर के सहारे मौसम कई गुज़ारे
मौसमी ना समझो पर इश्क़ को हमारे
नज़रों के सामने मैं आता नहीं तुम्हारे
मगर रहते हो हर पल मंज़र में तुम हमारे

'गर इश्क़ से है मिला
फ़िर दर्द से क्या गिला?
इस दर्द में ज़िंदगी खुशहाल है
ये दूरियाँ फ़िलहाल हैं

ओ, ख़ैरियत पूछो, कभी तो क़ैफ़ियत पूछो
तुम्हारे बिन दीवाने का क्या हाल है

अंजाम है तय मेरा, होना तुम्हें है मेरा
कितनी भी हो दूरियाँ, फ़िलहाल हैं
ये दूरियाँ फ़िलहाल हैं



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