Mann Ki Titliyaan

उमर की उस दहलीज़ पर
लगते जहाँ अरमाँ आँखों पर
नींदें रख़ अपनी ताक पर
सपनों के संग अब जाग कर

उड़े, हम उड़े
उड़े खुले आकाश पर
मन की तितलियाँ
मन की तितलियाँ

मन की तितलियाँ
मन की तितलियाँ

फ़ूलों की गोद में, बैठे हैं ओस में
दोनों ही चाँद पे गए हैं कुछ सोचने
फ़ूलों की गोद में, बैठे हैं ओस में
दोनों ही चाँद पे गए हैं कुछ सोचने

उड़े, हम उड़े
उड़े खुले आकाश पर
मन की तितलियाँ
मन की तितलियाँ

मन की तितलियाँ
मन की तितलियाँ
मन की तितलियाँ



Credits
Writer(s): Rishi Dutta
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