Mann Ki Dori

जिस पल से देखा है तुझ को, मन ये पगल गया रे
पीछे-पीछे देखो तेरे हद से निकल गया रे
हो, जिस पल से देखा है तुझ को, मन ये पगल गया रे
पीछे-पीछे देखो तेरे हद से निकल गया रे

तू जहाँ वहाँ लेके जाए ये राहें मोरी
कि तुझ संग बाँधी, कि तुझ संग बाँधी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
रे-रे-रे, तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी

हो, दाँतों से काटे, हाथों से खींचे
डोर ये तेरी-मेरी तोड़े ना टूटे
हो, धूप के दिन हों या सर्दी की रातें
डोर ये तेरी-मेरी छोड़े ना छूटे

तू जहाँ वहाँ लेके जाए ये राहें मोरी
कि तुझ संग बाँधी, कि तुझ संग बाँधी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
रे-रे-रे, तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी

कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
कि तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी
रे-रे-रे, तुझ संग बाँधी ये मन की डोरी



Credits
Writer(s): Amit Trivedi, Kausar Munir
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