Tere Hi Ghar Ke

तेरे ही घर के रस्तों पर अब मेरा दम निकले
जाऊँ जहाँ भी तेरी ही बाँहों में हर पल निकले
चाहे मिले १००-१०० ग़म, फिर भी तुझसे ही हम सँभले
तेरे ही घर के रस्तों पर अब मेरा दम निकले

खुद को मेरे यारा तुझपे लुटा दिया
मंज़िल को अपनी तेरा रस्ता बना लिया
बन जाऊँ दवा, तेरे सारे ग़म की ख़ाब यही रहे
तेरे ही घर के रस्तों पर अब मेरा दम निकले

वाजिब है इश्क़ में तेरे ऐसा जुनून मिले
जब भी तुझको देखूँ, फिर ही सुकून मिले
"ना दूर तू मुझसे हो जाए," हर धड़कन ये कहे

तेरे ही घर के रस्तों पर अब मेरा दम निकले
जाऊँ जहाँ भी तेरी ही बाँहों में हर पल निकले



Credits
Writer(s): Anupama Raag, Ajay Bawa
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