Aye Zindagi Ke Rahi, From, ''Bahar''

ए ज़िन्दगी के राही
हिम्मत ना हार जाना
हिम्मत ना हार जाना
ए ज़िन्दगी के राही
ए ज़िन्दगी के राही
हिम्मत ना हार जाना
बीतेगी रात ग़म की
बदले गए ये ज़माना
ए ज़िन्दगी के राही

क्यों रात की स्याही
तुझ को डरा रही है
क्यों रात की स्याही
तुझ को डरा रही है
हारे हुए मुसाफिर
मंज़िल बुला रही है
हारे हुए मुसाफिर
मंज़िल बुला रही है
बस जाए गए किसी दिन
उजड़ा जो आशियाना
बीतेगी रात ग़म की
बदले गए ये ज़माना
ए ज़िन्दगी के रही
हाथों से तेरे दामन
उम्मीद का न छूटे

हाथों से तेरे दामन
उम्मीद का न छूटे
दम टूट जाए लेकिन
हिम्मत कभी न टूटे
दम टूट जाए लेकिन
हिम्मत कभी न टूटे
मारने में क्या धरा
है जीने का कर बहाना
बीतेगी रात ग़म की
बदले गए ये ज़माना
ए ज़िन्दगी के रही



Credits
Writer(s): Sachin Dev Burman
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