Jinhe Naaz Hai Hind Par

ये कूचे, ...घर दिलकशी के

ये कूचे, ये नीलामघर दिलकशी के
ये लुटते हुए कारवाँ ज़िंदगी के
कहाँ है, कहाँ है मुहाफ़िज़ खुदी के?
जिन्हें नाज़ हैं हिंद पर, वो कहाँ हैं?
कहाँ हैं? कहाँ हैं? कहाँ हैं?

ये पुर-पेच गलियाँ, ये बदनाम बाज़ार
ये गुमनाम राही, ये सिक्कों की झंकार
ये इस्मत के सौदे, ये सौदों पे तकरार
जिन्हें नाज़ हैं हिंद पर, वो कहाँ हैं?
कहाँ हैं? कहाँ हैं? कहाँ हैं?

ये सदियों से बेख़्वाब, सहमी सी गलियाँ
ये मसली हुई अधखिली ज़र्द कलियाँ
ये बिकती हुई खोखली रंग-रलियाँ
जिन्हें नाज़ हैं हिंद पर, वो कहाँ हैं?
कहाँ हैं? कहाँ हैं? कहाँ हैं?

वो उजले दरीचों में पायल की छन-छन
थकी-हारी साँसों पे तबले की धन-धन
वो उजले दरीचों में पायल की छन-छन
थकी-हारी साँसों पे तबले की धन-धन

ये बेरूह कमरों में खाँसी की ठन-ठन
जिन्हें नाज़ हैं हिंद पर, वो कहाँ हैं?
कहाँ हैं? कहाँ हैं? कहाँ हैं?



Credits
Writer(s): Ludiavani Sahir, S Burman
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