Main Dhoondne Ko Zamaane Mein - Nikhil Iyer Version

मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला
मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला

पता चला कि ग़लत लेके मैं पता निकला
पता चला कि ग़लत लेके मैं पता निकला
मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला
मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला

जिसके आने से मुक़म्मल हो गई थी ज़िंदगी
दस्तकें खुशियों ने दी थी, मिट गई थी हर कमी

क्यूँ बेवजह दी ये सज़ा?
क्यूँ ख़ाब देके वो ले गया?
जिएँ जो हम, लगे सितम
अज़ाब ऐसे वो दे गया

मैं ढूँढने को उसके दिल में जो खुदा निकला
मैं ढूँढने को उसके दिल में जो खुदा निकला

पता चला कि ग़लत लेके मैं पता निकला
पता चला कि ग़लत लेके मैं पता निकला
मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला
मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला

ढूँढता था एक पल में दिल जिसे ये १०० दफ़ा
है सुबह नाराज़ उस बिन, रूठी शामें, दिन ख़फ़ा

वो आए ना, ले जाए ना
हाँ, उसकी यादें जो हैं यहाँ
ना रास्ता, ना कुछ पता
मैं उसको ढूँढूँगा अब कहाँ?

मैं ढूँढने जो कभी जीने की वजह निकला
मैं ढूँढने जो कभी जीने की वजह निकला

पता चला कि ग़लत लेके मैं पता निकला
पता चला कि ग़लत लेके मैं पता निकला
मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला
मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला



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