Tere Bin Zindagi

तेरे बिन ज़िंदगी अधूरी
साँसों की डोर नहीं पूरी
धड़कन फ़िर क्यूँ चलती है?
जाने क्या है मजबूरी

सुलगा-सुलगा सा ये मन
अब हो चला है धुआँ
शोले उठते थे जहाँ, राख के ढेर वहाँ
धुँध में देख ना पाऊँ
पास हो तुम या है दूरी

हाँ, दश्त-ओ-सहरा में ढूँढूँ, मैं ढूँढूँ तेरे निशाँ
तेरे निशाँ, तेरे निशाँ
तुझ को पाने की ख़ातिर मैं छोड़ूँ दोनों जहाँ
दोनों जहाँ, दोनों जहाँ
मेरी धड़कन के लिए तेरा एहसास ज़रूरी

सुलगा-सुलगा सा ये मन
अब हो चला है धुआँ
शोले उठते थे जहाँ, राख के ढेर वहाँ
धुँध में देख ना पाऊँ
पास हो तुम या है दूरी

हो, कितना दिलकश मौसम था
जब तुझे खोया ना था
रोज़ सूरज उगता था, चाँद भी सोया ना था

कितना दिलकश मौसम था
जब तुझे खोया ना था
रोज़ सूरज उगता था, चाँद भी सोया ना था
मेरी रातें थी रोशन, मेरे दिन थे सिंदूरी

दश्त-ओ-सहरा में ढूँढूँ, मैं ढूँढूँ तेरे निशाँ
तेरे निशाँ, तेरे निशाँ
तुझ को पाने की ख़ातिर मैं छोड़ूँ दोनों जहाँ
दोनों जहाँ, दोनों जहाँ
मेरी धड़कन के लिए तेरा एहसास ज़रूरी

सुलगा-सुलगा सा ये मन
अब हो चला है धुआँ
शोले उठते थे जहाँ, राख के ढेर वहाँ
धुँध में देख ना पाऊँ
पास हो तुम या है दूरी



Credits
Writer(s): Bhargav Das, Minu Bakshi
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