Chal Saathiyan

चल साथी, आज वक़्त है आया
चल मुसाफ़िर बाँध के धागे
आज परिंदे भी तेरे दर पर ठहरेंगे
तुझे आसमाँ से चलना है आगे

चल साथी, आज वक़्त है आया
चल मुसाफ़िर बाँध के धागे
चल साथी, आज...

आज मंदिर है मेरा दुआ का घर
आज काग़ज़ तुम्हें नहीं दिखाएँगे हम
जब गणपति सजेगा सावन में झूम के
तब परिंदे आएँगे ईद पर

ओ, चल साथी, आज याद रखेंगे
सबकुछ बदलेगा हौले-हौले
आज हर दुआ में आसमाँ होगा
आज फिर से परिंदे उड़ने चले
चल...

आज सोच में ताक़त, वक़्त की आवाज़
सब याद कर लो फिर से एक बार
आज मुमकिन होगी सारी कोशिशें
आज आसमाँ प्यार का करेगा इक़रार

चल साथी, आज वक़्त है आया
चल मुसाफ़िर बाँध के धागे
परिंदे भी तेरे दर पर ठहरेंगे
आज आसमाँ भी तुझको चाहने लगे

चल साथी, आज...
हो, चल साथी आज...
चल साथी, आज...



Credits
Writer(s): Raajhorshee De
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