Na Ho Ghar Ashna Hota

ना हो गर आशना नहीं होता
ना हो गर आशना नहीं होता
बुत किसी का ख़ुदा नहीं होता
ना हो गर आशना नहीं होता

तुम ही उस वक़्त याद आते हो
तुम ही उस वक़्त याद आते हो

जब कोई आसरा नहीं होता
जब कोई आसरा नहीं होता
ना हो गर आशना नहीं होता

दिल में कितना सुक़ून होता है
दिल में कितना सुक़ून होता है

जब कोई मुद्दआ नहीं होता
जब कोई मुद्दआ नहीं होता
ना हो गर आशना नहीं होता

हो ना जब तक शिकार-ए-नाकामी
हो ना जब तक शिकार-ए-नाकामी

आदमी काम का नहीं होता
आदमी काम का नहीं होता
ना हो गर आशना नहीं होता

ज़िंदगी थी शबाब तक, Seemab
ज़िंदगी थी शबाब तक, Seemab

अब कोई सानेहा नहीं होता
अब कोई सानेहा नहीं होता
ना हो गर आशना नहीं होता



Credits
Writer(s): Jagjit Singh
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