Nazron Ka Kya Kasoor

नज़रों का क्या कुसूर है
दिल की भी क्या ख़ता
नज़रों का क्या कुसूर है
दिल की भी क्या ख़ता
इस उम्र में जो होता है हमने वही किया
हमने वही किया

नज़रों का क्या कुसूर है
दिल की भी क्या ख़ता

चेहरा है चाँद जैसा, शबनम सा बदन
नज़रों में बाँकपन, ज़ुल्फ़ों में सावन
चेहरा है चाँद जैसा, शबनम सा बदन
नज़रों में बाँकपन, ज़ुल्फ़ों में सावन

तेरी शोखियों ने और भी पागल बना दिया
पागल बना दिया

नज़रों का क्या कुसूर है
दिल की भी क्या ख़ता

तेरे प्यार ने किया है ऐसे बेक़रार
सच तो है ये कि हम भी अब दिल गए हैं हार
तेरे प्यार ने किया है ऐसे बेक़रार
सच तो है ये कि हम भी अब दिल गए हैं हार

तेरी चाहतों के आगे ये सर झुका दिया
ये सर झुका दिया

नज़रों का क्या कुसूर है
दिल की भी क्या ख़ता
इस उम्र में जो होता है हमने वही किया
हमने वही किया

नज़रों का क्या कुसूर है
दिल की भी क्या ख़ता



Credits
Writer(s): Naresh Sharma, Rani Malik
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