Dil Lagane Ki Na Do Saza - Jhankar

दिल लगाने की ना दो सज़ा, यूँ सज़ा
दूर महबूब से महबूबा, कर दिया, ओ, पिया
दिल लगाने की ना दो सज़ा, यूँ सज़ा
दूर महबूब से महबूबा कर दिया, ओ, पिया

हुस्न महफ़िल में रुसवा हुआ है
मेरे ख़्वाबों का सौदा हुआ है
बना दुश्मन ये सारा जहाँ है
हाय, महबूब मेरा कहाँ है?

भरी बरसात में घर जला, क्यूँ जला?
दूर महबूब से महबूबा कर दिया, ओ, पिया

बोली अनमोल की लग रही है
सर-ए-बाज़ार वो बिक रही है
उड़ ना जाए हया का दुपट्टा
शर्म भी बेशरम हो रही है

मोल अनमोल का ना लगा, ना लगा
दूर महबूब से महबूबा कर दिया, ओ, पिया

मैं समझती थी मंज़िल मिलेगी
मेरे हाथों में मेहँदी रचेगी
सेज फूलों से मेरी सजेगी
आज सज-धज के डोली उठेगी

इन कहारों ने धोका दिया, क्यूँ दिया?
दूर महबूब से महबूबा कर दिया, ओ, पिया
दिल लगाने की ना दो सज़ा, यूँ सज़ा
दूर महबूब से महबूबा कर दिया, ओ, पिया

ओ, पिया



Credits
Writer(s): Maya Govind, Raam Laxman
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