Jane Kya Sochkar

जाने क्या सोचकर नहीं गुजरा

जाने क्या सोचकर नहीं गुजरा
इक पल रात भर नहीं गुज़रा
जाने क्या सोचकर नहीं गुजरा

अपनी तनहाई का
औरो से ना शिकवा करना

अपनी तनहाई का
औरो से ना शिकवा करना
तुम अकेले ही नहीं हो
सभी अकेले है
ये अकेला सफ़र नहीं गुज़रा

जाने क्या सोचकर नहीं गुजरा

दो घड़ी जीने की
मोहलत तो मिली है सबको

दो घड़ी जीने की
मोहलत तो मिली है सबको
तुम भी मिल जाओ
घड़ी भर तो ये गम होता है
इस घड़ी का सफर नहीं गुज़रा
जाने क्या सोचकर नहीं गुजरा
इक पल रात भर नहीं गुज़ारा
जाने क्या सोचकर नहीं गुजरा



Credits
Writer(s): Gulzar, Rahul Dev Burman
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