Kaise Mujhe Tum Mil Gaye

कैसे मुझे तुम मिल गए?
क़िस्मत पे आए ना यक़ीं
उतर आई झील में
जैसे चाँद उतरता है कभी
हौले-हौले, धीरे से

गुनगुनी धूप की तरह से तरन्नुम में तुम
छू के मुझे गुज़री हो यूँ
देखूँ तुम्हें या मैं सुनूँ?
तुम हो जुनूँ, तुम हो सुकूँ
क्यूँ पहले ना आई तुम?

कैसे मुझे तुम मिल गए?
क़िस्मत पे आए ना यक़ीं
उतर आई झील में
जैसे चाँद उतरता है कभी
हौले-हौले, धीरे से

मैं तो ये सोचता कि आजकल
ऊपर वाले को फ़ुर्सत नहीं
फिर भी तुम्हें बना के वो
मेरी नज़र में चढ़ गया
रुतबे में वो और बढ़ गया

ज़िंदगी सितार हो गई
रिमझिम मल्हार हो गई
मुझे आता नहीं क़िस्मत पे अपनी यक़ीं
कैसे मुझको मिली तुम?



Credits
Writer(s): Manan Bhardwaj
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