Mehroom

जहाँ भी रहूँ तेरा ही रहूँ
खोता जहाँ तो खो जाने दूँ
जहाँ भी रहूँ तेरा ही रहूँ
तेरी ही मैं राहें चुनूँ

महरूम हैं तेरे नायाब इश्क़ से
तेरा नूर है जो ले चल रहा मुझे
क़ाफ़िला गुम सा है तूफ़ानों में
बह जाने दे प्यार को आँसुओं में

महरूम हैं तेरे नायाब इश्क़ से
तेरा नूर है जो ले चल रहा मुझे
क़ाफ़िला गुम सा है तूफ़ानों में
बह जाने दे प्यार को आँसुओं में

दिल खो गया है तेरी ही गलियों में
गुम सा गया है ख़्वाबों के शहर में
आँसू ये मेरे हो गए हैं सूने
मैं जी रहा हूँ तेरी ही साँसों से

चाहूँ बस मैं तेरी रज़ा, हो आसमाँ ज़मीं पे
घायल ज़माने से दिल, है आसरा तुझी पे
ख़्वाबों में जो साया दिखा, हर ओर वो तू ही है
घायल ज़माने से दूर, आहट कहीं सुनी है

(महरूम हैं...)
(क़ाफ़िला...)



Credits
Writer(s): Anmol Ashish, Pratik Singh
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