Chali Chali

चली-चली, हाँ, चली, एक नई हवा हूँ मैं
कभी नहीं देखी जो वो नई दिशा हूँ मैं
चली-चली, हाँ, चली, एक नई हवा हूँ मैं
कभी नहीं देखी जो वो नई दिशा हूँ मैं

ख़्वाब के साथिया, दिल तुझे दे दिया
मैंने जो चाहा वो ही किया

चली-चली, हाँ, चली, एक नई हवा हूँ मैं
कभी नहीं देखी जो वो नई दिशा हूँ मैं

मैंने कभी जो ना कही, बातें वो होंठों पे आने लगी
पिछले दिनों से तो मेरी खामोशियाँ देखो गाने लगी
पाँव से मेरे चलती ज़मीं ये, मैं जो रुकूँ तो रुके
नींदों के बादल हैं ख़्वाब लेकर पलकों पे मेरी झुके

ख़्वाब के साथिया, दिल तुझे दे दिया
मैंने जो चाहा वो ही किया

चली-चली, हाँ, चली, एक नई हवा हूँ मैं
कभी नहीं देखी जो वो नई दिशा हूँ मैं

मेरी खुशी का आसमाँ तो आज मेरी राहों में है
कैसे कहूँ? किसको कहूँ क्या ख़्वाब मेरी निगाहों में है?
कभी सुनहरा, कभी रूपहला ख़्वाबों को मैंने किया
मैंने हवाओं को पंख देकर सुबह को मौसम दिया

ख़्वाब के साथिया, दिल तुझे दे दिया
मैंने जो चाहा वो ही किया



Credits
Writer(s): Veturi Sundararama Murthy, G.v.prakash
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