Vignesh Padhare Hai

छाई है हर ओर ख़ुशी, खिल उठे नज़ारे हैं
छाई है हर ओर ख़ुशी, खिल उठे नज़ारे हैं
सबका हरने क्लेश, आज विघ्नेश पधारे हैं

(छाई है हर ओर ख़ुशी, खिल उठे नज़ारे हैं)
(छाई है हर ओर ख़ुशी, खिल उठे नज़ारे हैं)
सबका हरने क्लेश, आज विघ्नेश पधारे हैं
छाई है हर ओर ख़ुशी...

(ग-प-ध, प-ध-नि-ध-प, ग-प-नि, ध-नि-स-नि-ध)
(ग-प-ध, प-ध-नि-ध-प, ग-प-नि, ध-नि-स-नि-ध-प)

भक्त हुए हैं व्याकुल, दर्शन-परसन को इनके
भक्त हुए हैं व्याकुल, दर्शन-परसन को इनके
है लगी लंबी कतारें, पूजन-अर्चन को इनके

ढोल-नगाड़े बाज रहे...
हो, ढोल-नगाड़े बाज रहे लगते जयकारे हैं

सबका हरने क्लेश, आज विघ्नेश पधारे हैं
(छाई है हर ओर ख़ुशी, खिल उठे नज़ारे हैं)
छाई है हर ओर ख़ुशी...

कभी ना होते खाली उनके अन्न-धन के भंडारें
हो, कभी ना होते खाली उनके अन्न-धन के भंडारें
ऋद्धि-सिद्धि और नवनिधियाँ भी लाचे उनके द्वारे

देवों के भी देव, गणेशा...
हो, देवों के भी देव, गणेशा, सबके प्यारे हैं

सबका हरने क्लेश, आज विघ्नेश पधारे हैं
(छाई है हर ओर ख़ुशी, खिल उठे नज़ारे हैं)
छाई है हर ओर ख़ुशी...

(ग-प-ध, प-ध-नि-ध-प, ग-प-नि, ध-नि-स-नि-ध)
(ग-प-ध, प-ध-नि-ध-प, ग-प-नि, ध-नि-स-नि-ध-प)

सारे कार्य यह मंगल होवे लेकर नाम इन्हीं का
हो, सारे कार्य यह मंगल होवे लेकर नाम इन्हीं का
देव-दनुज, नर-नारी, सारे करें गुणगान इन्हीं का

इनकी शरण में आके ही...
हो, इनकी शरण में आके ही मिलते सुख सारे हैं

सबका हरने क्लेश, आज विघ्नेश पधारे हैं
(छाई है हर ओर ख़ुशी, खिल उठे नज़ारे हैं)
छाई है हर ओर ख़ुशी...



Credits
Writer(s): Samuel Paul, Shardul Rathod
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