Mai Ri Main Kaise Kahoon

माई री
मैं कासे कहूँ पैर
अपने जिया की
माई री मैं कासे कहूँ पैर
अपने जिया की
माई री मैं कासे कहूँ पैर
अपने जिया की माई री

ओस नयन की उनके मेरी
लगी को बुझाए ना
तन मन भिगो दे आके
ऐसी घटा कोई छाये ना
मोहे बहा ले जाए
ऐसी लहर कोई आये ना
ओस नयन की उनके मेरी
लगी को बुझाए ना
पड़ी नदिया के किनारे
मैं प्यासी माई री
माई री मैं कासे कहूँ पैर
अपने जिया की माई री

पि की डगर में बैठा
मिला हुआ ऋ मेरा आचारा
मुखड़ा है फीका फीका
नैनो में सोहे नहीं काजरा
कोई जो देखे मैया प्रीत
का वास कहु माजरा
पि की डगर में बैठा मिला
हुआ ऋ मोरा आचारा
लत में पड़ी कैसी
बिरहा की माटी माई री
माई री मैं कासे कहूँ पैर
अपने जिया की माई री

आँखों में चलते फिरते
रोज़ मिले पिया बावरे
भैया की छैया आके
मिलते नहीं कभी साँवरे
दुःख ये मिलन का लेके
काह करूं कहाँ जाउँ रे
आँखों में चलते फिरते
रोज़ मिले पिया बावरे
पाकर भी नहीं उनको
मैं पाटी माई री
माई री मैं कासे कहूँ पैर
अपने जिया की माई री



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Madan Mohan
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