Ankahi Baatein
तेरी अनकही बातें मुझे हँस के सुना दे
जाने कहाँ मैं फ़ँसा हूँ, मुझे ख़ुद से मिला दे
खोई-खोई सी हैं रातें, मुझे चाँद दिखा दे
मेरे लबों का है रोज़ा, इफ़्तार करा दे
मुझे अपने इश्क़ का दीदार करा दे
थोड़े मसले ये सुलझा दे, मुझे इतना पाक बना दे
अदा तुझको करके नमाज़ें, तस्बीह तू अपनी पढ़ा दे
थोड़े मसले ये सुलझा दे, मुझे इतना पाक बना दे
अदा तुझको करके नमाज़ें, तस्बीह तू अपनी पढ़ा दे
तेरे-मेरे दरमियाँ ये जहाँ बेवजह
क्यूँ हिदायत दे रहे लोग शामों और सुबह?
तेरे-मेरे दरमियाँ ये जहाँ बेवजह
क्यूँ हिदायत दे रहे लोग शामों और सुबह?
इश्क़ हो आख़िरी (इश्क़ हो आख़िरी)
बस तुमसे मेरा (बस तुमसे मेरा)
तू भी मुझे अपना ले (तू भी मुझे अपना ले)
कुछ और ना कहना (कुछ और ना कहना)
रब की बस यही मर्ज़ी है
थोड़ी हामी तू भर दे
थोड़े मसले ये सुलझा दे, मुझे इतना पाक बना दे
अदा तुझको करके नमाज़ें, तस्बीह तू अपनी पढ़ा दे
थोड़े मसले ये सुलझा दे, मुझे इतना पाक बना दे
अदा तुझको करके नमाज़ें, तस्बीह तू अपनी पढ़ा दे
जश्न है इश्क़ का तेरे शहर में
पूछता है हर कोई मुझसे तेरा ठिकाना, तेरा ठिकाना
सज के, सँवर के कैसे हो लगते
मौक़ा मिले तो हमें भी ज़रा तुम दिखाना, तुम दिखाना
थोड़ा प्यार-मोहब्बत तू मुझे भी सिखा दे
तू ही मेरा रहनुमा, मुझे राह दिखा दे
मुझे अपने इश्क़ का दीदार करा दे
थोड़े मसले ये सुलझा दे, मुझे इतना पाक बना दे
अदा तुझको करके नमाज़ें, तस्बीह तू अपनी पढ़ा दे
थोड़े मसले ये सुलझा दे, मुझे इतना पाक बना दे
अदा तुझको करके नमाज़ें, तस्बीह तू अपनी पढ़ा दे
जाने कहाँ मैं फ़ँसा हूँ, मुझे ख़ुद से मिला दे
खोई-खोई सी हैं रातें, मुझे चाँद दिखा दे
मेरे लबों का है रोज़ा, इफ़्तार करा दे
मुझे अपने इश्क़ का दीदार करा दे
थोड़े मसले ये सुलझा दे, मुझे इतना पाक बना दे
अदा तुझको करके नमाज़ें, तस्बीह तू अपनी पढ़ा दे
थोड़े मसले ये सुलझा दे, मुझे इतना पाक बना दे
अदा तुझको करके नमाज़ें, तस्बीह तू अपनी पढ़ा दे
तेरे-मेरे दरमियाँ ये जहाँ बेवजह
क्यूँ हिदायत दे रहे लोग शामों और सुबह?
तेरे-मेरे दरमियाँ ये जहाँ बेवजह
क्यूँ हिदायत दे रहे लोग शामों और सुबह?
इश्क़ हो आख़िरी (इश्क़ हो आख़िरी)
बस तुमसे मेरा (बस तुमसे मेरा)
तू भी मुझे अपना ले (तू भी मुझे अपना ले)
कुछ और ना कहना (कुछ और ना कहना)
रब की बस यही मर्ज़ी है
थोड़ी हामी तू भर दे
थोड़े मसले ये सुलझा दे, मुझे इतना पाक बना दे
अदा तुझको करके नमाज़ें, तस्बीह तू अपनी पढ़ा दे
थोड़े मसले ये सुलझा दे, मुझे इतना पाक बना दे
अदा तुझको करके नमाज़ें, तस्बीह तू अपनी पढ़ा दे
जश्न है इश्क़ का तेरे शहर में
पूछता है हर कोई मुझसे तेरा ठिकाना, तेरा ठिकाना
सज के, सँवर के कैसे हो लगते
मौक़ा मिले तो हमें भी ज़रा तुम दिखाना, तुम दिखाना
थोड़ा प्यार-मोहब्बत तू मुझे भी सिखा दे
तू ही मेरा रहनुमा, मुझे राह दिखा दे
मुझे अपने इश्क़ का दीदार करा दे
थोड़े मसले ये सुलझा दे, मुझे इतना पाक बना दे
अदा तुझको करके नमाज़ें, तस्बीह तू अपनी पढ़ा दे
थोड़े मसले ये सुलझा दे, मुझे इतना पाक बना दे
अदा तुझको करके नमाज़ें, तस्बीह तू अपनी पढ़ा दे
Credits
Writer(s): Prateek Gandhi, Vishwajeet Singh
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