Jab Saiyaan

जब सय्याँ आए शाम को तो लग गए चाँद मेरे नाम को
जब सय्याँ आए शाम को तो लग गए चाँद मेरे नाम को
सर पे रख के नाच फिरी मैं हर जलते हुए इल्ज़ाम को
जब सय्याँ आए शाम को तो लग गए चाँद मेरे नाम को

दीवार-ओ-दर, चौखट-वौखट बन गए हैं सब सहेली
ये कुछ पूछे, वो कुछ पूछे, कितने जवाब दूँ मैं अकेली?

हज़ारों काम मिल गए हैं यूँ बैठे-बिठाए इस नाकाम को
जब सय्याँ आए शाम को तो लग गए चाँद मेरे नाम को

ख़ुद को देखने तक की भी फ़ुर्सत मुझको नहीं मिलती
उनके इश्क़ के नूर के आगे शम्मा नहीं जलती
ख़ुद को देखने तक की भी फ़ुर्सत मुझको नहीं मिलती
उनके इश्क़ के नूर के आगे शम्मा नहीं जलती

लाखों नाज़ लग गए हैं फिर ग़ुरूर के इस बदनाम को
जब सय्याँ आए शाम को तो लग गए चाँद मेरे नाम को
सर पे रख के नाच फिरी मैं हर जलते हुए इल्ज़ाम को



Credits
Writer(s): Sanjay Leela Bhansali
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