Musafir

चाँद भी देखा, रात भी देखी
देखे सितारे भी

चाँद भी देखा, रात भी देखी
देखे सितारे भी
मौसम देखे, देखी दुनिया
लोग ये सारे भी

दिल लगा ही ना कहीं पे
फिर गुज़रा तेरी गली से

मैं वही मुसाफ़िर हूँ, जो फिरता है आज भी
तू है बेख़बर, तुझ पे जो मरता है आज भी
मैं वही मुसाफ़िर हूँ, जो फिरता है आज भी
तू है बेख़बर, तुझ पे जो मरता है आज भी

कितनी रातें बैठ के हम ने
हाथ पकड़ के साथ निभाईं
अब तो, हमदम, तेरी यादें
हाँ, वो यादें तनहाई

हम तुम्हारी दिल्लगी थे
खेलने की चीज़ ही थे

जैसा हो मेरा दिल, तू धड़कता है आज भी
तू है बेख़बर, तुझ पे जो मरता है आज भी
मैं वही मुसाफ़िर हूँ, जो फिरता है आज भी
तू है बेख़बर, तुझ पे जो मरता है आज भी



Credits
Writer(s): Ankit Tiwari, Kunaal Vermaa
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