Cham Cham

कभी छम-छम बरसे, कभी थम-थम बरसे

कभी छम-छम बरसे, कभी थम-थम बरसे
जब ये मन प्यासा हो तभी कम-कम बरसे
कभी बेमौसम हो जाएँ मेहरबानियाँ
कभी सावन में भी कर ले बे-ईमानियाँ

कभी छम-छम बरसे, कभी थम-थम बरसे
जब ये मन प्यासा हो तभी कम-कम बरसे
कभी बेमौसम हो जाएँ मेहरबानियाँ
कभी सावन में भी कर ले बे-ईमानियाँ
कभी छम-छम बरसे, कभी थम-थम बरसे

कर दे कभी पानी-पानी
कभी टिप-टिप कर उड़ जाए
बिन दस्तक आ जाए छत पे
और दिन भर शोर मचाए

हाँ, कर दे कभी पानी-पानी
कभी टिप-टिप कर उड़ जाए
बिन दस्तक आ जाए छत पे
और दिन भर शोर मचाए

दिल के जज़्बात ना समझे
नज़र की बात ना समझे
कर ले ज़िद अपनी पूरी
मेरे हालात ना समझे

अब और चलेंगी ना तेरी मनमानियाँ
मंज़ूर नहीं दिल को तेरी सुल्तानियाँ

कभी एक सुर ना लगे, कभी सरगम बरसे
जब ये मन प्यासा हो तभी कम-कम बरसे
कभी बेमौसम हो जाएँ मेहरबानियाँ
कभी सावन में भी कर ले बे-ईमानियाँ
कभी छम-छम बरसे, कभी थम-थम बरसे

छम-छम



Credits
Writer(s): Ravi Chopra, Pramod Panth
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