Mausam Ka Jaadu

Ten, nine, eight, seven
Six, five, four, three
Two, one, let's start the fun

(ठंडी-ठंडी पुरवैया में उड़ती है चुनरियाँ)
(हे, धड़के मोरा जिया, रामा, बाली है उमरियाँ)
दिल पे नहीं काबू, कैसा ये जादू?

ये मौसम का जादू है, मितवा
ना अब दिल पे काबू है, मितवा
नैना जिसमें खो गए, दीवाने से हो गए
नज़ारा वो हरसू है, मितवा
हो, ये मौसम का जादू है, मितवा

(सहरी बाबु के संग मेम गोरी-गोरी)
(हे, ऐसे लागे जैसे चंदा की चकोरी)

फूलों-कलियों की बहारे, चंचल ये हवाओं की पुकारे
हाँ, फूलों-कलियों की बहारे, चंचल ये हवाओं की पुकारे
हमको ये इशारों में कहे हम थम के यहाँ घड़ियाँ गुज़ारे
पहले कभी तो ना हम से बतियाते थे ऐसे फुलवा

ये मौसम का जादू है, मितवा (मितवा)
ना अब दिल पे काबू है, मितवा
नैना जिसमें खो गए, दीवाने से हो गए
नज़ारा वो हरसू है, मितवा
हो, ये मौसम का जादू है, मितवा

(सच्ची-सच्ची बोलना, भेद ना छुपाना)
(ए, कौन डगर से आए? कौन दिसा है जाना?)

इनको हम ले के चले हैं, अपने संग अपनी नगरिया
इनको हम ले के चले हैं, अपने संग अपनी नगरिया
हाय रे, संग अनजाने का, उस पर अनजान डगरिया
फिर कैसे तुम दूर इतने, संग आ गई मेरी गोरियाँ

ये मौसम का जादू है, मितवा (मितवा)
ना अब दिल पे काबू है, मितवा
नैना जिसमें खो गए, दीवाने से हो गए
नज़ारा वो हरसू है, मितवा
हो, ये मौसम का जादू है, मितवा (मितवा)



Credits
Writer(s): Raam Laxman, Ravinder Rawal
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