Ek Boond

ओ, मीठे, खारे दरिया थे नैनों से जुदा
इस एक लम्हे में कुछ तो हुआ
सावन लौट के आया
घन ऐसा बरसाया

सपनों तले जो फूल था
ज़िंदा हुआ एक बूँद से
मन का मेरे जो मैल था
सब धूल गया एक बूँद से

हाँ, उठी ऐसी लहरें मुझ पे
कभी मेरे लगे थे जो पहरे
गलने लगे वो काग़ज़ी
काग़ज़ी, काग़ज़ी, काग़ज़ी

जितनी अधूरी थी कभी
है अब उतनी ही पूरी
हो, ज़िंदगी, ज़िंदगी
ज़िंदगी, ज़िंदगी

डगमग-डगमग नय्या
लो किनारे लगी
दिल में एक चिरैया
गुनगुनाने लगी

सपनों तले जो फूल था
ज़िंदा हुआ एक बूँद से
मन का मेरे जो मैल था
सब धूल गया एक बूँद से

छलक-छलक सर से हुई है पलक-पलक
हुमक-हुमक मुड़ने लगी है कमक-कमक
छलक-छलक सर से हुई है पलक-पलक
हुमक-हुमक मुड़ने लगी है कमक-कमक



Credits
Writer(s): Karan Kulkarni, Instrumental
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