Jaane Kis Se

जाने किस से दूर हूँ मैं जाने किसके पास हूँ,
ख़ुद के हूँ दरमियाँ या, खुदी की तलाश हूँ |
मुझे देने वाले ने मजहब नहीं दिया,
मैं मस्जिद को जानता हूँ, मंदिर का ख़ास हूँ ।

झुलसती दोपहरों में जो आँखों से बह गयी,
ज़ुबान पे मगर ना आयी, वो मिलने की आस हूँ।

लगाता नया सुर हूँ सुनाता नयी धुन,
खुदी को बिसर गया हूँ, खिलौने का साज़ हूँ।

ये फागुन की बारिश क्या बुझा पाएगी मुझे,
कुछ रोज़ की नहीं जी मैं सदियों की प्यास हूँ।

जाने किस से दूर हूँ मैं जाने किसके पास हूँ,
ख़ुद के हूँ दरमियाँ या, खुदी की तलाश हूँ ।



Credits
Writer(s): Rachit Sohgaura
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