Kahaan Ho Tum

हाँ, ये बातें ज़रूरी हैं
पास तुम हो, कैसी दूर है?
कहाँ हो तुम, ये कहानी अधूरी है
ये कैसी धुन मेरे लम्हों को छुई है?

मेरे दिल का फ़साना है
तुमसे मिलने का बहाना है
कहाँ हो तुम, मंज़िलों का इशारा है
ना कोई शक़ है, ना कोई इरादा है

मुझे समझाए कोई क्यूँ
ना जानूँ मैं, ना जाने तू
मुझे समझाए कोई क्यूँ
ना जानूँ मैं, ना जाने तू
है दिल बे-सबर, मैं जाऊँ किधर?

हाँ, बदलती बहारें हैं
तेरे इंतज़ार के सहारे हैं
कहाँ हो तुम, हाँ, गुज़रते सितारे हैं
ना जाने खोए हैं या वो हमारे हैं

कहाँ हो तुम? कहाँ हो तुम?
कहाँ हो तुम? कहाँ हो तुम?

मुझे समझाए कोई क्यूँ
मुझे समझाए कोई क्यूँ
ना जानूँ मैं, ना जाने तू
ना जानूँ मैं, ना जाने तू
है दिल बे-सबर, मैं जाऊँ किधर?

कहाँ हो तुम, ना सँभलती ये राहें हैं
कहाँ हो तुम, मेरी नज़रों पे साए हैं
कहाँ हो तुम, मैं तुम्हें ढूँढ लाऊँगा
कहाँ हो तुम, हम ज़माने से पराए हैं

कहाँ हो तुम? कहाँ हो तुम?
कहाँ हो तुम? कहाँ हो तुम?



Credits
Writer(s): Prateek Kuhad
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