Aa Jao Na

क्यों?
आज भी
है तेरा
इंतज़ार

क्यों?
दर्द है
बेशुमार

उलझी उलझी रातें थी
सुबह में थी जो
पिघल गयी
बिखरी बिखरी सांसें थी
एक दूजे में यूँ
समां रही

मैं खरा वही
राहों में तेरी

आ जाओ ना
तुम्हें ढूंढ़ता
आ जाओ ना
तुम्हें ढूंढ़ता

एक दिन
तोड़ के सभी
बंदिशें
हम मिलेंगे
फिर उन्हीं
बारिशों में

उलझी उलझी बाहों में
सुबह तक रहेंगे
गुम कहीं
बिखरी बिखरी सांसें जो
एक दूजे में यूँ
समायेंगी

है मुझे यक़ीन
यादों पे तेरी

आ जाओ ना
तुम्हें ढूंढ़ता
आ जाओ ना
तुम्हें ढूंढ़ता



Credits
Writer(s): Prateek Sarkar
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