Khoon Ki Khushboo

शौंधी है खून की खुशबू
महकी रे खून की खुशबू
दिलो में वो बनके रखता है
मिट्टी में टपकता रहता है
खंडर है दिल
बंजार है
वीराने का मांजर है
आंखों में लहू, लहू आंसू
शौंधी है खून की खुशबू
महकी रे खून की खुशबू

लास का कलावा है
मौत का बुलावा है
गुरुर भोक्ता है सुन, सुन, सुन!!
सुनाई देता है
सुनाई देता है
इमान भी बेईमान है
गुनाहों के कारोबार है
बिकती कोटि कोडियां आबरू
शौंधी है खून की खुशबू
महकी रे खून की खुशबू

दूर-दूर तक ये बहकेगा
एक रूह कपेगी
एक एक जिस्म बहकेगा
शौंधी है खून की खुशबू



Credits
Writer(s): Gulzar, Vishal Bhardwaj
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