Yeh Raat (From "Zwigato")

ये रात ही सुबह बुलाएगी
ये ख़्वाह-मख़ाह यूँ ही ना जाएगी
छाए हों बादल घने-घने
राहों में जुगनूँ यही दिखाएगी

ये रात...
ये रात ही सुबह बुलाएगी
ये ख़्वाह-मख़ाह यूँ ही ना जाएगी

मुड़ने दो, मुड़ गए रास्तों में जो क़ाफ़िले
भीड़ में बढ़ गए मंज़िल से जो फ़ासले
छोटी सी है तो क्या कोशिशों की तिली तेरी?
ना जले, माँग ले तारों से रोशनी

एक बुलबुला है तू, बेफ़िकर बहता जा
वक़्त दे वक़्त को, ये वक़्त भी गुज़र जाएगा

ये तेरी ज़िद से हार जाएगी
ये रात ही सुबह बुलाएगी
छाए हों बादल घने-घने
राहों में जुगनूँ यही दिखाएगी

ये रात, हाँ
ये रात...
ये रात...

ये रात...



Credits
Writer(s): Geet, Hitesh Raj Sonik, Devanshu
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