Yeh Kahan Aa Gaye Hum
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं
तुम होती तो कैसा होता, तुम ये कहती, तुम वो कहती
तुम इस बात पे हैराँ होती, तुम उस बात पे कितना हँसती
तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं
ये कहाँ आ गए हम यूँ ही साथ-साथ चलते?
तेरी बाँहों में है, जानम, मेरे जिस्म-ओ-जाँ पिघलते
तेरी बाँहों में है, जानम, मेरे जिस्म-ओ-जाँ पिघलते
ये कहाँ आ गए हम यूँ ही साथ-साथ चलते?
ये रात है या तेरी ज़ुल्फ़ें खुली हुई हैं?
है चाँदनी या तुम्हारी नज़रों से मेरी रातें धुली हुई हैं?
ये चाँद है या तुम्हारा कंगन? सितारें हैं या तुम्हारा आँचल?
हवा का झौंका है या तुम्हारे बदन की ख़ुशबू?
ये पत्तियों की है सरसराहट
कि तुमने चुपके से कुछ कहा है
ये सोचता हूँ, मैं कब से गुमसुम
जब कि मुझे भी ये ख़बर है
कि तुम नहीं हो, कहीं नहीं हो
मगर ये दिल है कि कह रहा है
कि तुम यहीं हो, यहीं-कहीं हो
हो, तू बदन है, मैं हूँ छाया, तू ना हो तो मैं कहाँ हूँ
मुझे प्यार करनेवाले, तू जहाँ है, मैं वहाँ हूँ
हमें मिलना ही था हमदम, किसी राह भी निकलते
हमें मिलना ही था हमदम, किसी राह भी निकलते
ये कहाँ आ गए हम यूँ ही साथ-साथ चलते?
मजबूर ये हालात, इधर भी है, उधर भी
तन्हाई की एक रात, इधर भी है, उधर भी
कहने को बहुत कुछ है, मगर किससे कहें हम?
कब तक यूँ ही ख़ामोश रहें और सहें हम?
दिल कहता है दुनिया की हर इक रस्म उठा दें
दीवार जो हम दोनों में है, आज गिरा दें
क्यों दिल में सुलगते रहे, लोगों को बता दें
हाँ, हमको मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत
अब दिल में यही बात, इधर भी है, उधर भी
तुम होती तो कैसा होता, तुम ये कहती, तुम वो कहती
तुम इस बात पे हैराँ होती, तुम उस बात पे कितना हँसती
तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं
ये कहाँ आ गए हम यूँ ही साथ-साथ चलते?
तेरी बाँहों में है, जानम, मेरे जिस्म-ओ-जाँ पिघलते
तेरी बाँहों में है, जानम, मेरे जिस्म-ओ-जाँ पिघलते
ये कहाँ आ गए हम यूँ ही साथ-साथ चलते?
ये रात है या तेरी ज़ुल्फ़ें खुली हुई हैं?
है चाँदनी या तुम्हारी नज़रों से मेरी रातें धुली हुई हैं?
ये चाँद है या तुम्हारा कंगन? सितारें हैं या तुम्हारा आँचल?
हवा का झौंका है या तुम्हारे बदन की ख़ुशबू?
ये पत्तियों की है सरसराहट
कि तुमने चुपके से कुछ कहा है
ये सोचता हूँ, मैं कब से गुमसुम
जब कि मुझे भी ये ख़बर है
कि तुम नहीं हो, कहीं नहीं हो
मगर ये दिल है कि कह रहा है
कि तुम यहीं हो, यहीं-कहीं हो
हो, तू बदन है, मैं हूँ छाया, तू ना हो तो मैं कहाँ हूँ
मुझे प्यार करनेवाले, तू जहाँ है, मैं वहाँ हूँ
हमें मिलना ही था हमदम, किसी राह भी निकलते
हमें मिलना ही था हमदम, किसी राह भी निकलते
ये कहाँ आ गए हम यूँ ही साथ-साथ चलते?
मजबूर ये हालात, इधर भी है, उधर भी
तन्हाई की एक रात, इधर भी है, उधर भी
कहने को बहुत कुछ है, मगर किससे कहें हम?
कब तक यूँ ही ख़ामोश रहें और सहें हम?
दिल कहता है दुनिया की हर इक रस्म उठा दें
दीवार जो हम दोनों में है, आज गिरा दें
क्यों दिल में सुलगते रहे, लोगों को बता दें
हाँ, हमको मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत
अब दिल में यही बात, इधर भी है, उधर भी
Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Shiv Hari
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