Zindagi Bata De

ज़िंदगी, बता दे क्यूँ तू ख़फ़ा है
साँसें ही तो ले रहा हूँ, ये भी क्या गुनाह है?
ज़िंदगी, बता दे क्यूँ तू ख़फ़ा है
साँसें ही तो ले रहा हूँ, ये भी क्या गुनाह है?

मेरे अपने भी अपने नहीं हैं, क्यूँ?
मेरे सपने नहीं हैं, नहीं हैं क्यूँ?
मुझे ख़ुद से उम्मीदें हैं ना जाने क्यूँ
लोगों से उम्मीदें नहीं हैं, क्यूँ?

मेरी बर्बादी चाहत सारों की थी
एक फ़हरिस्त लंबी रिश्तेदारों की थी
मुझे एक शख़्स अपना नहीं क्यूँ दिखा?
कल महफ़िल में भीड़ हज़ारों की थी

ज़िंदगी, बता दे क्यूँ तू ख़फ़ा है
साँसें ही तो ले रहा हूँ, ये भी क्या गुनाह है?
ज़िंदगी, बता दे क्यूँ तू ख़फ़ा है
साँसें ही तो ले रहा हूँ, ये भी क्या गुनाह है?

मैंने जाना, ये दुनिया सिर्फ़ मतलब से चलती है
हो गई मोहब्बत, ये मेरी ही ग़लती है
अपनों को खोने का डर नहीं किसी को
दुनिया है, बाबू, पैसे से डरती है

दिखता है नुक़्सान, दिखता नफ़ा है
पैसों से बिकती है, बिकती वफ़ा है
हर चीज़ का मोल होता यहाँ पे
लाखों रुपए की एक-एक अदा है

ज़िंदगी, बता दे क्यूँ तू ख़फ़ा है
साँसें ही तो ले रहा हूँ, ये भी क्या गुनाह है?
ज़िंदगी, बता दे क्यूँ तू ख़फ़ा है
साँसें ही तो ले रहा हूँ, ये भी क्या गुनाह है?

मेरे यार, मर जाना है, जाना है
ज़िंदगी हक़ीक़त या फ़साना है?
जाना है, जाना है, जाना है
ज़िंदगी हक़ीक़त या फ़साना है?

ज़िंदगी, बता दे क्यूँ तू ख़फ़ा है
साँसें ही तो ले रहा हूँ, ये भी क्या गुनाह है?



Credits
Writer(s): Tony Kakkar
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