Dekha Ek Khwab, Pt. 2 (From "Silsila")

देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए
देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए

ये गिला है आपकी निगाहों से
फूल भी हों दरमियाँ तो फ़ासले हुए
देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए

मेरी साँसों में बसी ख़ुशबू तेरी
ये तेरे प्यार की है जादूगरी
तेरी आवाज़ है हवाओं में
प्यार का रंग है फ़िज़ाओं में

धड़कनों में तेरे गीत हैं मिले हुए
क्या कहूँ कि शर्म से हैं लब सिले हुए
देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए
फूल भी हों दरमियाँ तो फ़ासले हुए

मेरा दिल है तेरी पनाहों में
आ, छुपा लूँ तुझे मैं बाँहों में
तेरी तस्वीर है निगाहों में
दूर तक रोशनी है राहों में

कल अगर ना रोशनी के क़ाफ़िले हुए
प्यार के हज़ार दीप हैं जले हुए
देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए

ये गिला है आपकी निगाहों से
फूल भी हों दरमियाँ तो फ़ासले हुए
देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए



Credits
Writer(s): Hari Chaurasia, Shiv Sharma
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