In Ankhon Se Nazar Ka Tir

बड़े नादान हो, उलझे हो
तुम आ कर हसीनों से
बिना सोचे, लड़ाईं तुमने
आँखें नाज़नीनों से

इन आँखों से नज़र का...
इन आँखों से नज़र का तीर
चल जाता तो क्या होता?
जी, चल जाता तो क्या होता?
(जी, चल जाता तो क्या होता?)

ज़रा सोचो, तुम्हारा दम
निकल जाता तो क्या होता?
निकल जाता तो क्या होता?
(निकल जाता तो क्या होता?) जी

अजी, अब तुम यहाँ क्या करने आए?
(Hoo! भला क्या करने आए?)
अजी, कह दो कि आहें भरने आए
(हाय, कि आहें भरने आए)
घनी ज़ुल्फ़ों की छाँव में बेचारे मरने आए
(हाय, बेचारे मरने आए)

ना जाने कितने धोखे तुमने आँखों में छिपाए हैं
बुतों पर तुमने आ कर तीर उल्फ़त के चलाए हैं

जो भूले से हमारा...
जो भूले से हमारा हाथ
चल जाता हो क्या होता?
जी, चल जाता हो क्या होता?
(जी, चल जाता हो क्या होता?)

ज़रा सोचो, तुम्हारा दम
निकल जाता तो क्या होता?
(निकल जाता तो क्या होता?) जी

झुकी आँखें, निगाहें नीची-नीची
(Hmm! निगाहें नीची नीची)
जी, होंठों पर हँसी है फीकी-फीकी
(Yay! हँसी है फीकी-फीकी)
हुए ठंडे सुनी बातें हमसे तीखी-तीखी
(जी, कि बातें तीखी-तीखी)

हमारे सामने तुमने दिल अपने दूर से फेंके
ना ये सोचा, कोई मेहँदी रचे इन शोख़ क़दमों से

तुम्हारे दिल को यूँ, यूँ, यूँ...
तुम्हारे दिल को यूँ, यूँ, यूँ
मसल जाता तो क्या होता?
मसल जाता तो क्या होता?
(मसल जाता तो क्या होता?)

इन आँखों से नज़र का तीर
चल जाता तो क्या होता?
(जी, चल जाता तो क्या होता?)

ज़रा सोचो, तुम्हारा दम
निकल जाता तो क्या होता?
(निकल जाता तो क्या होता?) जी



Credits
Writer(s): Madan Mohan, Raja Mehdi Ali Khan
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