Zindagi

ज़िन्दगी तूने कैसा toss खेला है?

ज़िन्दगी तूने कैसा toss खेला है?
ज़िन्दगी तूने कैसा toss खेला है?
रात भर गई कभी तो दिन अकेला है
रात भर गई कभी तो दिन अकेला है
ज़िन्दगी तूने कैसा toss खेला है?

जीने के लिए तू रोज़ खर्ची देती है
जीने के लिए तू रोज़ खर्ची देती है
कितने साँस लेने हैं, वो गिन भी लेती है
सब अकेले हैं मगर फिर भी मेला है
ज़िन्दगी तूने कैसा toss खेला है?

सुकून भी तो दे कभी, डराए रखती है
सुकून भी तो दे कभी, डराए रखती है
उम्मीद के चिराग भी जलाए रखती है
हमने कितनी देर तेरा दर्द झेला है
ज़िन्दगी तूने कैसा toss खेला है?

ज़िन्दगी तूने कैसा toss खेला है?
रात भर गई कभी तो दिन अकेला है
ज़िन्दगी तूने कैसा toss खेला है?



Credits
Writer(s): Gulzar, A.r. Rahman
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